1- (i) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। ((ii) प्रस्तुत गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (iii) लेखक के अनुसार प्रतिस्पर्द्धा में भारतवासियों की असफलता का क्या कारण है? (iv) प्राचीन काल में साधन के अभाव में भारतीयों ने किसकी खोज की ? (v) आधुनिक समय में अपनी उन्नति के लिए कौन प्रयासरत है? सब उन्नतियों का मूल धर्म है। इससे सबसे पहले धर्म की ही उन्नति करनी उचित है। देखो अंगरेजों की धर्मनीति ग परस्पर मिली हैं इससे उनकी दिन दिन कैसी उन्नति है। उनको जाने दो, अपने ही यहाँ देखो। तुम्हारे यहाँ धर्म की अ नाना प्रकार की नीति समाज-गठन, वैद्यक आदि भरे हुए हैं। दो एक मिसाल सुनो। यहीं तुम्हारा बलिया का मेला औ स्थान क्यों बनाया गया है। जिसमें जो लोग कभी आपस में नहीं मिलते दस-दस पाँच-पाँच कोस से वे लोग एक जगह होकर आपस में मिलें। एक दूसरे का दुःख-सुख जानें। गृहस्थी के काम की वह चीजें जो गाँव में नहीं मिलतीं यहाँ से ले एकादशी का व्रत क्यों रखा है? जिसमें महीने में दो एक उपवास से शरीर शुद्ध हो जाय। गंगा जी नहाने जाते हैं तो पह सिर पर चढ़ाकर तब पैर पर डालने का विधान क्यों है? जिसमें तलुए से गरमी सिर में चढ़कर विकार न उत्पन्न दीवाली इस हेतु है कि इसी बहाने साल भर में एक बेर तो सफाई हो जाये। होली इसी हेतु है कि वसंत की बिगड़ी हवा स्थान पर अग्नि जलने से स्वच्छ हो जाय। यही तिहवार ही तुम्हारी म्युनिसिपालिटी है। हमारे सारे कार्य (i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए। (ii) प्रस्तुत गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (iii) लेखक ने सभी उन्नतियों का मूल किसे बताया है? (iv) लेखक ने अंग्रेजों की उन्नति का क्या कारण बताया है? तरक के धर्म अच्छे अनुसर होते चाहए। v) 'यही तिहवार ही तुम्हारी म्युनिसिपाल ​

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