Answer :
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार |तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ||
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु |जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास ||
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु |बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||
सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि |सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि ||
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु |जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास ||
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु |बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||
सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि |सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि ||
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार |तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ||
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु |जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास ||
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु |बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||
सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि |सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि ||
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु |जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास ||
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु |बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||
सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि |सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि ||