रोते-रोते उसका रुदन तो शांत हो गया परंतु शोक शांत न हो सका

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काकी के लिए कई दिन तक लगातार रोते-रोते उसका रुदन तो क्रमशः शांत हो गया, परंतु शोक शांत न हो सका। वर्षा के अनंतर' एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शोक जाकर बस गया था

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