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निशान्त और रवि एक साथ एक स्कूल में, एक ही क्लास में पढ़ते थे। वो दोनों बहुत पक्के दोस्त थे, हमेशा एक साथ रहते थे, एक दूसरे के बिना कहीं नहीं जाते थे,

फिर एक दिन दोनों दोस्त झील के किनारे बातें करते हुए जा रहे थे, फिर अचानक किसी बात को लेकर दोनों दोस्तों में बहस हो गयी। और थोड़ी सी ही कहा सुनी में निशान्त ने रवि को थप्पड़ मार दिया।

थप्पड़ लगने के बाद रवि ने कुछ नहीं कहा बस नीचे पड़ी रेत पर लिख दिया, “मुझे चोट लगी है, क्योंकि आज मेरे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा है।” और दुखी होकर वहाँ से चला गया।

बाद में निशान्त को भी बहुत दुःख हुआ। और मन में ही सोचने लगा की आज मैने ठीक नहीं करा वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है और मैने उसी पर हाथ उठा दिया। दुखी होकर वो भी वहां से चला गया।

चार दिन तक दोनों बिलकुल मिले भी नहीं, पाँचवे दिन दोनों ने मिलने का सोचा और मिलकर दोनों खुश तो थे, पर उस दिन की बात से दुखी भी थे। फिर उन दोनों ने नदी में नहाने का प्रोग्राम बनाया।

और दोनों नदी में नहाने चले गए। नदी में नहाते नहाते रवि का पैर गहरे पानी की ओर फिसल गया ओर वो डूबने लगा।

जब निशान्त ने उसे डूबते हुए देखा, तो अपनी जान के बारे में न सोचते हुए, रवि को बचाने के लिए झट से उस गहरे पानी में खुद गया, और रवि को बचाने में लग गया, और रवि को बहार निकाल लिया।

बहार आने के बाद रवि ने पत्थर पर लिखना शुरू दिया, “आज मुझे मेरे सबसे अच्छे दोस्त निशान्त ने अपनी जान पर खेलकर मेरी जान बचाई”

तभी निशान्त ने रवि से पूछा “जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा तो तुमने रेत पर लिखा, और जब मैंने तुम्हें बचाया तो तुमने पत्थर पर लिखा, ऐसा क्यों ?”

इस पर रवि ने जवाब दिया “जब लगे की दोस्त से कोई गलती हुई है, उसने हमें कोई चोट पहुंचाई है या हमें किसी बात का बुरा लगे तो अच्छा होगा कि हम रेत पर लिख दें, क्योंकि यह हवा के साथ मिट जाएगा

लेकिन जब आपका दोस्त आपके साथ कुछ अच्छा करे, तो हमेशा पत्थर पर लिखें ताकि इसे हमेशा याद रखा जा सके।

                                     >     कहानी से सीख !           <

दोस्तों, जहाँ दोस्ती होती है वहां प्यार होता है वहां थोड़ी बहुत बहस, लड़ाई भी होती है। यदि उस एक बात को हम अपने दिल पर लगा लें, तो फिर दोस्ती या कोई भी रिश्ता कैसे चल पायेगा।

एक दोस्त आपसे लड़ भी सकता है और आपके लिए लड़ भी सकता है। एक तरह आप उसकी गलती को अज़रअंदाज़ करें तो दूसरी तरह उसकी अच्छाई को हमेशा याद भी रखें।

सच्चे दोस्त बहुत किस्मत वालों को मिलते हैं, इसलिए हमेशा अपने दोस्तों के साथ प्यार से रहें, अगर वो गुस्सा करे या कुछ बुरा भला भी ज्यादा बोल दे, तो उसकी बात का बुरा न माने।

एक सच्चा दोस्त हमेशा आपकी भलाई ही चाहेगा, फिर चाहे उसके लिए उसे बुरा बनना पड़े बो आपको सही राह में लाने के लिए बुरा भी बन जायेगा पर आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा।

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