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वेंकटरामन राघवन भारतीय संगीतशास्त्री, विद्वान और संगीतकार थे, जिन्होंने कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 21 मई 1908 को तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की और संगीतशास्त्र में अपनी विशेषज्ञता प्राप्त की।

राघवन ने कर्नाटक संगीत पर गहन शोध किया और इसके इतिहास, सिद्धांत और प्रथाओं को व्यापक रूप से दस्तावेजीकृत किया। उनके अनुसंधान ने कई पुरानी पांडुलिपियों और दुर्लभ ग्रंथों को पुनर्जीवित किया, जिससे भारतीय संगीत के अध्ययन में नई जानकारियाँ सामने आईं। उन्होंने संगीत साहित्य और शिक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, और उनके लेखन में कर्नाटक संगीत के प्रमुख सिद्धांतों, रागों और तालों का विस्तार से वर्णन मिलता है।

राघवन ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षण कार्य किया, जिसमें मद्रास विश्वविद्यालय भी शामिल है। उन्होंने भारतीय संगीत के अध्ययन के लिए कई संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया और संगीत शिक्षकों और छात्रों के बीच इसे लोकप्रिय बनाया। उनके प्रयासों से भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान मिली।

उन्होंने विभिन्न पुस्तकों और लेखों के माध्यम से भारतीय संगीत के ज्ञान को व्यापक रूप से फैलाया। उनके कुछ प्रमुख कार्यों में 'क्रिटिकल इन्वेस्टिगेशन्स ऑफ द राग सिस्टम' और 'म्यूजिक एंड डांस इन एंशिएंट इंडिया' शामिल हैं। उनके योगदानों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शामिल हैं।

वेंकटरामन राघवन का निधन 19 मार्च 1979 को हुआ। उनका जीवन और कार्य भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में हमेशा याद किया जाएगा, और उनके योगदान संगीत शिक्षा और अनुसंधान में प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

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