Answer :
संकट के समय दे रहे हैं मित्र होता है
मित्र जीवन के लिए परमावश्यक है। बिना मित्र के हम मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। सच्चा मित्र अर्थात जो विपत्ति में हमारा साथ दे ऐसा मित्र बहुत मुश्किल से मिल पाता है। सच्चा मित्र जीवन के लिए औषधि के समान है। सच्चा मित्र मुसीबत में सबसे पहले काम आता है। वह कठिनाई के दिनों में भी साथ नहीं छोड़ता है।
रहीम दास जी ने कहा है,
"रहिमन विपदा हू भली जो थोड़े दिन होइ,
जगत में जानि पड़त सब कोई।"
हित अनहित या वे कहते हैं कि थोड़े दिनों का कष्ट अच्छा है क्योंकि उस समय हम अपने असली मित्र को पहचान सकते हैं।
ऐसा देखा जाता है कि सुख के समय जब व्यक्ति के पास धन, समाज में मान, अच्छी नौकरी, सकुशल परिवार होता है तो उसके अनेक मित्र होते हैं। पर जैसे ही उसके पास धन का अभाव होता है या उसके बुरे दिन होते हैं, सभी मित्र जो सिर्फ नाम के मित्र थे उसे छोड़ देते हैं। जैसे जब तक तालाब में पानी रहता है अनेक मेढ़क उसके पास मँडराते रहते हैं और पानी सूखने पर तालाब को छोड़कर वो अन्य किसी जगह चले जाते हैं।
एक अच्छा मित्र सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह सुख-दुःख का साथी होता है। सिर्फ सुख में साथ देने वाले व्यक्ति, असली मित्र नहीं होते हैं। सच्चा मित्र दुःख में सहायता करता है। हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। इसलिए मुसीबत में ही मित्र की परख होती है।