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### बचपन की वह रोमांचक रात
यह बात उन दिनों की है जब मैं केवल दस साल का था और गाँव में अपने दादा-दादी के साथ रहता था। हमारे गाँव में हर साल गर्मियों में मेले का आयोजन होता था, और उस मेले का इंतजार हम सभी बच्चों को पूरे साल रहता था।
मेले की रात, चारों तरफ रौशनी और खुशियों का माहौल था। मेरी दादी ने मेरे लिए नई सफेद कुरता-पाजामा सिला था, जिसे पहनकर मैं खुद को किसी राजकुमार से कम नहीं समझ रहा था। मेरे दोस्तों के साथ मिलकर हमने मेले की हर एक दुकान का मजा लिया - झूले झूले, मिठाइयाँ खाई, और खिलौनों की दुकानें देखीं।
लेकिन असली रोमांच की शुरुआत तो तब हुई जब मैंने और मेरे दोस्तों ने तय किया कि हम मेला खत्म होने के बाद जंगल में जाएंगे। हमारे गाँव के पास ही एक घना जंगल था, जिसके बारे में कई भूत-प्रेत की कहानियाँ मशहूर थीं। हमें ये सब बातें सिर्फ अफवाहें लगती थीं, लेकिन आज रात हम असलियत का पता लगाना चाहते थे।
जैसे ही मेला खत्म हुआ, हम चार दोस्तों ने टॉर्च और लाठी लेकर जंगल की ओर कदम बढ़ाया। हमारी हिम्मत बेशक बढ़ी हुई थी, लेकिन दिल की धड़कनें भी उतनी ही तेज थीं। जंगल में घुसते ही हमें चारों तरफ अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं - झींगुरों की आवाजें, पत्तों की सरसराहट, और कहीं-कहीं उल्लू की हूटिंग।
हम एक पत्थर पर बैठकर कुछ देर आराम करने लगे तभी अचानक हमारी टॉर्च की रोशनी में एक परछाई नजर आई। हमने देखा कि वह परछाई धीरे-धीरे हमारी ओर बढ़ रही है। हम सभी के दिल की धड़कनें तेज हो गईं और हम चुपचाप उस परछाई को देखने लगे। जैसे ही वह परछाई करीब आई, हमने देखा कि वह कोई और नहीं बल्कि हमारे गाँव का ही बुजुर्ग था जो अपनी गायों को खोजने निकला था।
हमने उसे सारी बात बताई और वह हंसते हुए हमें वापस गाँव तक छोड़ आया। उस रात हम सभी ने सबक सीखा कि हर रहस्यमय चीज से डरना नहीं चाहिए, लेकिन उसकी सच्चाई जानने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।
उस रोमांचक रात की यादें आज भी मुझे रोमांचित कर देती हैं और एक मीठी मुस्कान मेरे चेहरे पर ला देती हैं।