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Explanation:

### प्रदूषण: एक समस्या

आज के दौर में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो मानव जीवन और पर्यावरण दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। इन सभी प्रदूषणों का स्रोत अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इनका परिणाम अंततः एक ही होता है - मानव और प्रकृति को हानि पहुँचाना।

#### वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण मुख्यतः वाहनों के धुएं, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं और कचरे के जलने से होता है। ये हानिकारक गैसें हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होती हैं। सांस की बीमारियाँ, अस्थमा, और हृदय रोग जैसी समस्याएँ वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रही हैं।

#### जल प्रदूषण

नदियों, तालाबों और समुद्रों में औद्योगिक कचरे और रासायनिक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है। यह न केवल जल जनित जीवों के लिए हानिकारक है, बल्कि इसे पीने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। प्रदूषित जल से हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियाँ फैलती हैं।

#### ध्वनि प्रदूषण

शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण ध्वनि प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या बन गया है। वाहनों का शोर, लाउडस्पीकर और औद्योगिक मशीनें ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। यह मानसिक तनाव, नींद में कमी और सुनने की समस्याओं का कारण बन सकता है।

#### भूमि प्रदूषण

रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और औद्योगिक कचरे के कारण भूमि प्रदूषण होता है। इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है और कृषि उत्पादन प्रभावित होता है। इसके अलावा, यह प्रदूषण खाद्य श्रृंखला के माध्यम से मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

#### समाधान

प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए। औद्योगिक कचरे के निपटान के लिए प्रभावी उपाय अपनाने चाहिए और कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना चाहिए। वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र बढ़ाने से भी वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।

सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझकर इस समस्या से निपटने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। यदि हम समय रहते प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाएगा।

Answer:

प्रदूषण एक समस्या प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।

प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।

सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

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