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Explanation:

संस्कृत में, क्रियाओं को अलग-अलग काल में संयुग्मित किया जाता है, जिन्हें लकार कहते हैं। क्रिया "धाव" (दौड़ना) के लिए:

लट लकार (वर्तमान काल): धावति (वह/वह/वह दौड़ता है), धवामि (मैं दौड़ता हूँ)।

लिट लकार (भूतकाल पूर्ण काल): दधावा (वह/वह/वह दौड़ा), दधामा (हम दौड़े)।

लट लकार (भविष्य काल): धास्यति (वह/वह/वह दौड़ेगा), धास्यामि (मैं दौड़ूँगा)।

लर्ट लकार (भविष्यकाल पूर्ण काल): धाता (वह/वह/वह दौड़ चुका होगा), धातास्मि (मैं दौड़ चुका हूँ)।

लोट लकार (आदेशात्मक भाव): धावति (उसे/उसे/उसे दौड़ने दो), धवनि (मुझे दौड़ने दो)।

ये रूप विभिन्न काल और मनोदशाओं के लिए बुनियादी संयुग्मन प्रदान करते हैं

इन सारी धारूरूपो को याद कीजिए

,सूत्रों के मदद से

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