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तृतीय पाठ: सत्यप्रियः का हिंदी अनुवाद

शीर्षक: सत्यप्रियः

कक्षा: 8वीं

पाठ्यपुस्तक: अतुला संस्कृतम्

लेखक: रामनाथ शर्मा

अनुवाद:

पात्र:

* शिवदत्त: एक गरीब ब्राह्मण

* सत्यप्रिय: शिवदत्त का पुत्र

* राजा: राज्य का राजा

* मंत्री: राजा का मंत्री

* अन्य: सिपाही, लोग

दृश्य:

एक गांव में शिवदत्त नाम का एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसके तीन पुत्र थे - सत्यप्रिय, हरिप्रिय और धनप्रिय। सत्यप्रिय बचपन से ही सत्यवादी और ईमानदार था।

एक दिन, राजा के राज्य में सूखा पड़ गया। लोग भूख से मरने लगे। राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी बारिश लाने का उपाय बताएगा, उसे इनाम दिया जाएगा।

सत्यप्रिय ने राजा के पास जाकर कहा कि वह बारिश ला सकता है। राजा ने उस पर विश्वास नहीं किया, लेकिन मंत्री ने उसे मौका देने का आग्रह किया।

राजा ने सत्यप्रिय को एक साल का समय दिया। सत्यप्रिय जंगल में चला गया और तपस्या करने लगा।

एक साल बाद, सत्यप्रिय वापस लौटा और बारिश लाने में सफल रहा। राजा बहुत खुश हुआ और उसने सत्यप्रिय को पुरस्कृत किया।

कहानी की शिक्षा:

* सत्यवादिता और ईमानदारी का जीवन में बहुत महत्व है।

* कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

* दूसरों की मदद करने से हमेशा सुख मिलता है।

अनुवाद के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

* पाठ में संस्कृत के शब्दों का सरल हिंदी में अनुवाद किया गया है।

* पाठ के भाव और संदेश को यथासंभव बनाए रखने का प्रयास किया गया है।

* पाठ को पढ़ने में आसान बनाने के लिए कुछ वाक्यों को तोड़ा गया है और कुछ शब्दों को जोड़ा गया है।

उम्मीद है कि यह अनुवाद आपके लिए उपयोगी होगा