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स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत - निबंध 

स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत - ये शब्द आजकल बड़े आम हो गए हैं | २ अक्टूबर २०१४ को हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गांधी जयंती के मौके पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की | उन्होंने भारत को दो हज़ार उन्नीस तक खुले शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा | उन्होंने लोगों को जानकारी दी की आज भी कई कई गाओं में लोग खुले में शौच को जाते हैं | महिलाएं और लडकियां दिन के समय खुले में नहीं जा सकतीं इसलिए वे रात होने का इंतजार करती हैं | ये उनके लिए दोहरी मार जैसा है - पहले तो शरीर पर इस चीज का अत्याचार सहना जिससे तरह तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं और दूसरा रात के समय खुले में शौच जाने के दौरान उनका सुरक्षित न रहना | कई बार हमने घटनाएं सुनी होंगी की शौच गयी महिला के साथ दुर्व्यवहार किया गया | उन्होंने पूछा लोगों से की आजादी के साठ वर्षों बाद भी क्या हम अपनी माता और बहनों को यह मूल सुविधा नहीं दे सकते ? यह सचमुच एक शर्म की बात थी |
उसके बाद सरकार के साथ मानो पूरे भारतवासियों ने कदम से कदम मिलाया | कई हस्तियों को इस अभियान से जोड़ा गया | टीवी पर स्वच्छ भारत से जुड़ी जानकारी देते खिलाड़ी, नेता व अभिनेता आपको दिखेंगे जिसके बाद यह शब्द सुनाई पड़ेंगे - स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत | 
पुराने ज़माने में सही कहा गया है की जैसा खाए अन्न वैसा होए मन | और आज के इस वास्तु और फेंग शुई का ज़माना भी यही कहता है की आप अपने शरीर और अपने आस पास के वातावरण को जितना साफ रखेंगे उतनी सकारात्मक उर्जा अपने ओर आकर्षित करेंगे | सिर्फ छोटे छोटे आसान से कदम उठाने हैं - कूड़े को कूड़ेदान में फेकना, उन्हें खुले में नहीं फेक देना जिससे मखियाँ, मच्छर उसपे बैठके बाद में हमें बीमार करें, आवारा कुत्ते या बिल्लियाँ उसे और न फैला सकेंगे, चलती फिरती गाए आकर और उसे खाकर बीमार नहीं पड़ेगी| खुले में शौच जाने से न हम अपने प्रतिष्ठा और इज्जत को नीलाम करते हैं बल्कि उस गन्दगी से वहां की मिट्टी को बर्बाद कर देते हैं जिससे हमारे फसल में कई तरह की बीमारियाँ आ सकती हैं | आते जाते यूँही कही पर भी थूक देना हमारे अपने ही शहर को गंदा करता है | कही भी खुले में पेशाब करना, ना सिर्फ गन्दगी को बढ़ावा देता है बल्कि एक सभ्य समाज का कतल करना है | जहाँ हम महिलाओं को उनके दायरे सिखाते हैं वहीँ पुरुष खुले में पेशाब करके उस विडंबना का हिस्सा बनते हैं | 
अपने भारत के इतिहास पर हम फूले नहीं समाते पर जब विदेशी पर्यटक हमारे देश आते हैं तो जहा तहां गन्दगी देख उनके सामने हमारी छवि ख़राब होती है | वे यही सोचते हैं की हम भारतीयों का इतिहास तो अच्छा है पर यहाँ के लोग अब वर्तमान में ऐसी चीजें कर रहे हैं जिससे हमारा भविष्य तो सुनहरा नहीं है | उनके देश से हमें सीखना चाहिए , वे तब तक खाने के छिलके, पन्नी वगरह तब तक नहीं फेकते जब तक उन्हें कोई कूड़ेदान न मिले | खुले में पेशाब या शौच के बारे में वो सोच भी नहीं सकते, यह बेहद ही घिनौनी बात है जो की सही भी है |ट्रेन, बस, कार आदि में सफ़र करते समय हम बस हाथ बाहर करके सब फेक देना आसान समझते हैं पर अगर यही कोई हमें सिखाये तो उसे अपने काम से काम रखने को कहते हैं या उसकी खिल्ली उड़ाते हैं | घर से कूड़े को उछाल कर फेक देना सही लगता है पर जब हमारे सर पर किसी और का कूड़ा उछल कर पड़ता है तब भी हम सबक नहीं लेते | 
सरकार के साथ हाथ मिलकर अपने देश को स्वच्छ बनने में योगदान दे सकते हैं | हमें कोई जरुरत नहीं सड़क साफ़ करने की | बस अपनी अपनी जगह सही रहना है | अपने घर और आस पास के वातावरण को साफ़ रखना, चलते फिरते गन्दगी न फेक देना, और हो सके तो और पेड़ लगाना जो हमारे वातावरण को ठंडा रखेगा, बारिश होगी और वो बारिश हमारे शहर को और साफ़ शांतिपूर्ण बनाएगी |

Answer:

हमारे भारत देश में प्रदूषण को लेकर कई सारे अभियान सरकार ने बनाए है। जिसमे से स्वच्छ भारत अभियान यह बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण और लोकप्रिय है।

इस अभियान में अपने देश को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सभी शहरों और कस्बों को स्वच्छ बनाने के लिए तैयार किया गया था। यह अभियान भारत देश के अभी के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा शुरू किया गया था।

स्वच्छ भारत यह महात्मा गांधी का सपना था। इसलिए इस अभियान को भारत सरकार ने 2 अक्टूबर के दिन शुरू किया था। इस अभियान को भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर चलाया। जिसमे देश के सभी ग्रामीण और शहरी इलाकों को शामिल कर लिया। इस अभियान ने अपने देश के लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक किया।

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