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सच्चा मित्र | Sachha Mitra | True Friend

हम सामाजिक प्राणी हैं| हमें हर कदम पर साहचर्य की आवश्यकता महसूस होती है| पशु-पक्षी तक भी समूह में रहते है| अत: प्रत्येक व्यक्ति मित्र अवश्य बनाता है| आदर्श मित्र सर्वदा हितेषी होता है| अच्छी पुस्तकें भी सच्चे मित्र की भूमिका निभाती है| मित्र उस आईने के सदृश होता है जिसमें हम अपने व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब देख सकते है| सरल शब्दों में एक सच्चा मित्र हमारी उपलब्धियों पर हमारा प्रोत्साहन करता है| गलत राह चुनने पर हमें सही सलाह देता है और गलती करने पर हमारे दोष हमें समझाकर भावी में उनकी पुनरावृत्ति रोकता है| विपत्ति में भी जो साथ न छोड़े वही सच्चा मित्र है| हालांकि दो मित्रों का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है पर उनकी मित्रता दूध और पानी के सदृश होती है| जैसे दोनों मिला दिए जाने पर अपना अस्तित्व एक-दुसरे में एकमेक कर देते है| वैसे ही सच्चे मित्र भी सदा मिलजुल कर रहते है| कोई मतवैभिन्य होने पर आपसी समझ से सुलह कर लेते है| वैसे तो आज भी मेरे बचपन के अनेकों मित्र मेरे सम्पर्क में यथावत है पर अभिजीत से आज भी मेरी मित्रता अभिन्न है| हम नर्सरी से एक ही स्कूल व क्लास में पढ़े है| उसकी व मेरी रुचियाँ समान है| उसकी गणित व विज्ञान विषय में अत्यधिक रूचि है| उसने कभी मुझे ट्यूशन नहीं करने दी| वह इन विषयों में मेरी सहायता करता है और मैं अन्य  विषयों में उसकी| गत वर्ष टाईफाइड की वजह से मेरा अध्ययन बाधित हो गया था| ठीक होने पर अभिजीत ने सारे विषय पढने में मेरी सहायता की| मुझे गृहकार्य पूरा करवाया| अभिजीत एक सच्चरित्र, ईमानदार और मेहनती विद्यार्थी है| वह न सिर्फ मेरा मित्र ही है वरन पूरी कक्षा के लिए आदर्श है| अध्यापक उसकी अध्ययन के लिए प्रतिबद्धतता और समर्पण के लिए सराहना करते है| मुझे अपने सच्चे मित्र पर गर्व है| साथ ही ये विश्वास भी कि हम सर्वदा यूँ  हीं संयुक्त रहकर मित्रता के प्रतिमान स्थापित करेंगे| इस प्रकार सारत: हम कह सकते है कि मित्रता ईश्वर प्रदत्त अनुपम उपहार है जिसका सम्मान वही कर सकते है जो इसका मर्म समझते है| जो हृदय में मित्र के लिए सच्ची भावना रखते है| जो ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा और प्रपंच से परे  है| 


मित्र की खास परिभाषा नहीं होती .हमारे मित्र तो बहोत होते है लेकिन उन सब्मेसे हमारा एक अनमोल मोती होता है हमारा सच्चा मित्र जो हमेशा हमारा साथ देता हे . वो हर पल हर वक़्त हमारे साथ होता है मित्र हम ऐसे ही चलते चलते नहीं बनाते उसमे हम एक सच्चाई ,भरोसा ,एकता दिखाई देती है वही हमारा सच्चा मित्र होता है जो हमें बुरे से बचा ता है अच्छाई की दिशा दिखता है और हमारे साथ हमेश होने का विश्वास दिलाता है मित्र के बारे में जितना कहे उतना कम होता है उसके लिए हमारी जिंदगी कम पद जाये .




दो या दो से अधिक लोगों के बीच में मित्रता एक दैवीय रिश्ता है। दोस्ती का दूसरा नाम ध्यान रखना और सहायता करना है। ये भरोसे, एहसास और एक-दूसरे के प्रति बराबर समझ पर आधारित है। दो या दो से अधिक सामाजिक लोगों के बीच में ये बहुत साधारण और निष्ठावान रिश्ता है। जो लोग सच्ची दोस्ती करते हैं वो बिना किसी प्रकार के लालच के दूसरे मित्र का ध्यान रखते हैं और सहायता करते हैं। परवाह और भरोसे से दिनों-दिन दोस्ती और मजबूत होने लगती है।

बिना एक दूसरे को अपना दंभ और ताकत दिखाये दोस्त एक-दूसरे पर भरोसा और सहायता करते हैं। उनको अपने दिमाग में न्याय का एहसास रहता है और जानते हैं कि किसी भी समय किसी को भी ध्यान और सहायता की ज़रुरत पड़ सकती है। लंबे समय तक दोस्ती को बनाये रखने के लिये समर्पण और भरोसे की बहुत ज़रुरत होती है। ढेर सारी मांगों और संतुष्टि की कमी की वजह से कुछ लोग दोस्ती को लंबे समय तक बनाए रखने में अक्षम होते हैं। कुछ लोग केवल अपनी जरुरतों और इच्छाओं की पूर्ति के लिये दोस्त बनाते हैं।

एक बड़ी भीड़ में एक अच्छा दोस्त ढूढंना कोयले के खदान में हीरा तलाशने के समान है। सच्चे दोस्त केवल वहीं नहीं होते जो अच्छे मौकों पर ही उपलब्ध हों बल्कि वो होते हैं जो बुरी परिस्थितियो में भी साथ खड़े रहें। हमें अपना सबसे अच्छा दोस्त चुनने में सावधान रहना चाहिये क्योंकि हम किसी से भी धोखा खा सकते हैं। जीवन में एक अच्छा साथी पाना बहुत मुश्किल कार्य है और अगर किसी को सच्चा साथी मिलता है तो उसपर प्रभु की सच्ची कृपा है। एक अच्छा मित्र हमेशा दोस्त के बुरे समय में उसकी सहायता करता है और सही राह पर चलने के लिये सलाह दिखाता है।

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