Answer :

उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा

मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।


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रौद्र रस की परिभाषा :-

रौद्र रस का  इसका स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।

रौद्र रस के उदाहरण

श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।  

सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे।  

संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।  

करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े।।

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