Answer :

पेन-- पेंसिल तुम मुझसे कितने लंबे हो।

पेंसिल-- वह तो मेरी बनावट ही सदियों से ऐसी है। पर तुम चिंता मत करो। जैसे ही मेरा उपभोग किया जाएगा मेरा रूप धीरे-धीरे तुम्हारे जैसा हो जाएगा।

पेन-- हां, तुमको अगर छिलेंगे नहीं तो तुम्हारा उपयोग नहीं हो पाएगा। तुम बनी ही हो शहीद होने के लिए।

पेंसिल-- शहीद तो तुम भी होती हो अपने इंक की कुर्बानी देकर।

पेन--हां, कहीं न कहीं हम दोनों का निर्माण ही हुआ है जग काम उद्धार करने के लिए।

पेंसिल-- हां, विद्यार्थियों के जीवन का पहला अक्षर वह पेंसिल से लिखते हैं और शेष जीवन तक वह पेन एवं पेंसिल का प्रयोग समान भाव से करते हैं।

पेन-- बिल्कुल सही ।देखो ।हमें खरीदने आए हैं लोग चलो लोगों के उज्जवल भविष्य के लिए हम अपने को कुर्बान करते हैं।

Question :-

Write dialog conversation between pen and pencil.

Answer :-

कलम: आप क्यू दुखी है पेंसिल?

पेंसिल: ज़्यादातर मुझे बच्चों को देते है। वो मुझे सही तरह से खयाल नहीं रकते है। हमेशा मुझे छोटा कर देते है। मुझे इधर-उधर रखकर छोड़ देते है।

कलम: इतनी सी बात क्यू नाराज़ हो रहे हो। कोई भी बच्चा माँ की कोख से सर्वगुणसंपन्न होकर बाहर नहीं आता। वे सब कुछ बाहार आकार सीखते है।

पेंसिल: आपको मेरी बात छोटी ही लगती है। आप बड़ो से साथ रहकर बहुत खुश हो। वो आपके खयाल अच्छी तरह से रकते है।

कलम: बच्चों के मन पवित्र होता हैं। उनकी मुख पर खुशियाँ झलकती है। बड़ो में वो खुशी बहुत कम दिखाई देती हैं।

पेंसिल: मुझे बच्चे कभी मुंह में रख लेते हैं। बड़ो के साथ ही मुझे अच्छा लगता हैं।

कलम: अगर में एक बार थीक से नहीं लिखा तो मुझे फेंक देते है। कोई मेरे उपयोक करके लिखता है तो उस पूरी तरह नहीं मिटा सकते।

पेंसिल: सोचने से लग रहा है कि मेरा जिंदगी आप से थोड़ी बेहतर है।

कलम: कभी दूसरों से तुलना मत करना क्यू कि हर किसी कि जिंदगी सुखी नहीं होती।

पेंसिल: आपने सच कहा है। अलविदा।

कलम: अलविदा दोस्त। फिर मिलेंगे।

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