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मीडिया के प्रभाव| media ke prabhav. Effects of Media

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है| ये वो सजग प्रहरी है जो कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका पर नियंत्रण रखता है| उनके अच्छे-बुरे कार्यो का लेखा-जोखा जनता के  सामने रखकर उन्हें जागरूक बनाता है| मीडिया का प्रभाव व्यापक होता है| इसके तीन प्रकार माने जा सकते है- प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और सोशल| पहले लोग अख़बार व मैगजीन पर निर्भर रहते थे| फिर दूरदर्शन आया, फिर तो विभिन्न चैनल्स आने के बाद मानो सूचना क्रांति ही आ गई| रही-सही कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी| हालाँकि भारतीय जनता जागरूक है पर मनोवैज्ञानिक इस बात की पुष्टि करते हैं कि बार-बार कोई दृश्य या बातें हमे दिखाई-सुनाई जाती है वो हमारे अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालती है| चुनाव से पहले प्रसारित विज्ञापन और एक्जिट पोल बार-बार टी वी पर देखने से व्यक्ति के मन में किसी की विशेष अच्छी या बुरी छवि बन जाती है जिससे लोकतंत्र प्रभावित होता है|   इसलिए मीडिया से निष्पक्ष और पूर्वाग्रह मुक्त होने की अपेक्षा की जाती है| उन्हें किसी व्यक्ति विशेष या दल विशेष के प्रति अपना व्यक्तिगत दृष्टिकोण त्यागकर सत्य को दिखाना चाहिए| ऐसे अनेकों चैनल्स और अख़बार है जो किसी दल विशेष के पिठ्ठू है और नीरा राडिया टेप कांड ने इसे साबित भी किया है| ये लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है| पत्रकारों से निर्भीक और निष्पक्ष होने की आशा की जाती है| आपातकाल के अलावा कभी उनकी स्वतंत्रता बाधित नहीं की गई अत: उन्हें इसका प्रयोग उचित दिशा में करना चाहिए तभी मीडिया का सकारात्मक प्रभाव बना रहेगा|

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